विशेषज्ञ ज्योतिष के परामर्श से पाएं शानदार प्रेममय जीवन
Indian Astrology | 12-Dec-2019
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बीते सालों में विवाह आसान होता था। जैसे ही लड़का और लड़की विवाह की उम्र पर पहुंचते, घर के बुज़ुर्ग उनके लिए वर-वधु की तलाश शुरू कर देते थे। उस समय में लोग सामाजिक स्थिति को देखते हुए कम उम्र में ही विवाह कर देते थे। लेकिन शिक्षा में प्रगति होने से नई पीढ़ी जीवन से बहुत अधिक उम्मीद लगाने लगी है और अब यह जीवन के लिए आवश्यक भी बन गया है।
अगर आपको वैवाहिक जीवन से संबंधित कोई शंका है तो आप ज्योतिष से बात कर के प्रभावी उपचार के बारे में जान सकते हैं।
आप ख़ुद से यह सवाल कितनी बार कर चुके हैं कि आपका प्रेम विवाह (Love Marriage) होगा या सुसंगत विवाह (Arrange Marriage)?
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प्रेम विवाह और सुसंगत विवाह ज्योतिष में क्या अंतर है?
सुसंगत विवाह- सुसंगत विवाह ऐसा विवाह है जहां दो परिवार शादी का निर्णय लेते हैं। भारतीय संस्कृति में इसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इस तरह एक समान विश्वास को मानने वाले लोग जुड़ते हैं और साथ जीवन बिताते हैं। इस तरह के सम्बन्धों में संस्कृति से जुड़े मतभेद कम देखने को मिलते हैं और लोग अपने माता-पिता द्वारा चुने व्यक्ति के साथ आसानी से घुल-मिल पाते हैं। व्यवस्थित विवाह में एक समानता बनी रहती है।
प्रेम विवाह- प्रेम विवाह में लड़का और लड़की एक दूसरे के साथ प्रेम में रहते हुए एक दूसरे के साथ विवाह का निर्णय लेते हैं। आज से 40-50 वर्ष पहले भारत में प्रेम विवाह का रिवाज नहीं था लेकिन आज के समय में यह अधिक प्रचलित है। मंगल, शुक्र, राहु, चंद्रमा और बुध प्रेम विवाह के लिए ज़िम्मेदार हैं। कुंडली में प्रेम विवाह की भविष्यवाणी करते समय इन ग्रहों और उनके संयोजन की जांच करनी चाहिए।
आज के समय में विवाह से पहले भी लोगों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हर व्यक्ति अपना जीवन अपने प्रियजनों या कहें अपने पसंद के व्यक्ति के साथ बिताना चाहते हैं, लेकिन सामाजिक या परिवारिक दबाव के कारण वे ऐसा नहीं कर पाते हैं। लेकिन आप ऐसी समस्याओं से निपटने और इनके उपाय के लिए स्वयं वैवाहिक रिपोर्ट पा सकते हैं। कुछ माता पिता के विचार आज भी रूढ़िवादी हैं और उन्हें लगता है प्रेम विवाह लम्बे समय तक नहीं टिकते हैं और इस कारण वे अपने बच्चों के प्रेम विवाह के लिए अनुमति नहीं देते हैं।
अब सवाल यह उठता है कि कौन-सा भाव (House) प्रेम विवाह ज्योतिष शास्त्र दर्शाता है?
प्रेम विवाह वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 4 घर या भव मुख्य रूप से हैं जिनमें 7वां, 5वां, 8वां और 11वां भाव शामिल है। हमें वृश्चिक, मिथुन और मीन के संकेतों को देखना है। मंगल, शुक्र, राहु और बुध प्रेम विवाह के ज़िम्मेदार हैं। यदि शुक्र या बुध राहु के साथ हैं तो भी प्रेम विवाह की संभावना बढ़ जाती है। अगर शुक्र दूसरे, नवें या ग्यारहवें भाव में है तो भी प्रेम विवाह की उम्मीद बढ़ जाती है।
क्या विवाह से पहले मांगलिक दोष के बारे में जानना महत्वपूर्ण है?
अपनी जन्म की सारणी में पाए गए मांगलिक दोष के बाद वह व्यक्ति मांगलिक कहलाता है। मंगल ग्रह अगर दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में होता है तो यह हानिकारक है और वैवाहिक जीवन में तनाव और असंतोष लाता है। इस कारण दंपति में लगातार मतभेद और चिंता हो सकती है। मंगल के इस पहलू के कारण दंपति के बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे मामलों में व्यक्ति का अपने साथी के साथ असम्मत व्यवहार हो सकता है जो आगे चल कर तलाक या अलग होने की वजह बन जाता है। यह सम्मान, अहंकार, आत्म-सम्मान और ऊर्जा को दर्शाता है, तो मंगल दोष वाले व्यक्ति एक संवेदनशील व्यवहार के साथ किसी रिश्ते में बाधा डाल सकते हैं, लेकिन ऐसा विश्वास है कि मांगलिकों में एक अग्नि ऊर्जा होती है अगर उन्हें सही तरह से इस्तेमाल किया जाए।
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कालसर्प दोष क्या होता है?
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कालसर्प दोष या योग बहुत अशुभ माना जाता है और इस दोष के साथ किसी व्यक्ति को आजीवन दुर्भाग्य से लड़ना पड़ता है। निरंतर ग्रहों की गति के कारण, अलग-अलग कुंडलियों में राहु और केतु की स्थिति अलग हो सकती है। इस कारण दम्पति में कड़वाहट, असुरक्षा, बेजोड़ता और प्रेम की कमी होने लगती है। इस तरह के मामलों में आप अपने भविष्य में आने वाली समस्याओं को जानने के लिए विशेषज्ञ ज्योतिष से अपनी Kundli Report प्राप्त कर सकते हैं।
कुंडली मिलान: आवश्यक है या नहीं?
प्रेम विवाह या सुसंगत विवाह के बारे में भविष्यवाणी या विवाह के लिए सही साथी चुनने के लिए kundli Milan एक अहम चीज़ मानी जाती है। कुंडली मिलान विवाह का निर्णय लेने से पहले एक मुख्य सीढी है। अधिकतर माता-पिता एक व्यक्ति की शादी की संभावनाओं के बारे में जानने के लिए इसका उल्लेख करते हैं। जन्मतिथि के आधार पर कुंडली मिलान करना बहुत आवश्यक है और इसे विवाह से पहले करना ही उचित समझा जाता है।
प्रेम विवाह ज्योतिष शास्त्र क्या करता है?
सातवां भाव रिश्तों का भाव होता है। यह घर हमारे विवाह के बारे में जानकारी देता है, इसीलिये प्रेम विवाह ज्योतिष में कुंडली मिलाते समय इसे सबसे महत्वपूर्ण भाव माना जाता है। सुखद वैवाहिक जीवन के लिए पांचवे प्रभु और सातवें भाव का आशीर्वाद लेना ज़रूरी है। यदि प्रबल प्रभु चंद्रमा या सातवें प्रभु सातवें भाव में चंद्रमा के साथ हैं तो प्रेम विवाह का योग बनता है। शनि और केतु हानिकारक ग्रह हैं लेकिन सातवें भाव में इनका जोड़ प्रेम विवाह के लिए शुभ है।
अगर आप जानना चाहते हैं कि आपके साथी के साथ आपका वैवाहिक जीवन सफल होगा या नहीं तो आप दिल्ली में मौजूद हमारे विशेषज्ञ ज्योतिष से परामर्श कर सकते हैं। अगर आप एक रिश्ते में फंसे हुए हैं और कोई सुझाव नहीं मिल रहा है, तो आपको ज्योतिष से बात करनी चाहिए क्योंकि वो आपकी समस्याओं को सुलझाने में आपकी सहायता करेंगे।