जानिए, विवाह से पूर्व क्यो आवश्यक है कुंडली मे नाड़ी दोष का ध्यान रखना।

Indian Astrology | 28-Oct-2019

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विवाह के लिए कुण्डली और गुण मिलान करते समय नाड़ी दोष को नजर-अंदाज नहीं करना चाहिए, विवाह में वर-वधू के गुण मिलान में नाड़ी का सर्वाधिक महत्त्व को दिया गया है, 36 गुणों में से नाड़ी के लिए सर्वाधिक 8 गुण निर्धारित हैं, Astrologer की दृष्टि में तीन नाडियां होती हैं – आदि नाड़ी, मध्य नाड़ी और अन्त्य नाड़ी. इन तीनो नाडियों का संबंध मानव की शारीरिक धातुओं से है. वर-वधू की समान नाड़ी होने पर दोष पूर्ण माना जाता है तथा संतान पक्ष के लिए यह दोष हानिकारक हो सकता है. हमारे भारतीय शास्त्रों में यह भी उल्लेख मिलता है कि: “नाड़ी दोष केवल ब्रह्मण वर्ग में ही मान्य है. समान नाड़ी होने पर पारस्परिक विकर्षण तथा असमान नाड़ी होने पर आकर्षण पैदा होता है, आयुर्वेद के सिद्धांतों में भी तीन नाड़ियाँ – वात (आदि ), पित्त (मध्य) तथा कफ (अन्त्य) होती हैं। शरीर में इन तीनों नाडियों के समन्वय के बिगड़ने से व्यक्ति रूग्ण हो सकता है।

 

 

इस प्रकार की स्थिति में Nadi Dosh Ka Prabhaw-

  • यदि लड़का- लड़की की एक समान नाड़ियां हों तो उनका विवाह नहीं करना चाहिए, क्योंकि उनकी मानसिकता के कारण, उनमें आपसी सामंजस्य होने की संभावना न्यूनतम और टकराव की संभावना अधिकतम पाई जाती है, इसलिए मेलापक में आदि नाड़ी के साथ आदि नाड़ी का, मध्य नाड़ी के साथ मध्य का और अंत्य नाड़ी के साथ अंत्य का मेलापक वर्जित होता है।
  • जब कि ल़ड़का-लड़की की भिन्न- भिन्न नाड़ी होना उनके दाम्पत्य संबंधों में शुभता का द्योतक है।
  • यदि वर एवं कन्या कि नाड़ी अलग-अलग हो तो नाड़ी शुद्धि मानी जाती है।
  • यदि वर एवं कन्या दोनों का जन्म यदि एक ही नाड़ी मे हो तो नाड़ी दोष माना जाता है।

नक्षत्रो में इस प्रकार की स्थिति में बनता है नाड़ी दोष-

  • नाड़ी तीन प्रकार की होती है, आदि नाड़ी, मध्या नाड़ी तथा अन्त्य नाड़ी।
  • Kundali में गुण का मिलान करते समय यदि वर-वधू दोनों की नाड़ी आदि होने की स्थिति में तलाक या अलगाव की प्रबल आशंका बनती है।
  • तथा वर-वधू दोनों की नाड़ी मध्य या अन्त्य होने से वर-वधू में से किसी एक या दोनों की मृत्यु की आशंका पैदा होती है।

 

 

 

नक्षत्रो में ऐसी स्थिति होने पर नही लगता नाड़ी दोष-

  • यदि लड़का लड़की दोनों का जन्म एक ही नक्षत्र के अलग -अलग चरणों में हुआ हो तो दोनों की नाड़ी एक होने पर भी दोष नही माना जाता।
  • यदि लड़का- लड़की दोनों की जन्म राशि एक हो और नक्षत्र अलग- अलग हों तो वर -वधू की नाड़ी एक होने के पश्चात् भी नाड़ी दोष नही बनता है।
  • यदि लड़का लड़की दोनों का जन्म नक्षत्र एक हो लेकिन जन्म राशियाँ अलग- अलग होने पर वर -वधू की नाड़ी एक होने के पश्चात् भी नाड़ी दोष नही बनता है।

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नाड़ी दोष के प्रभाव | Nadi Dosh Ke Prabhaw

  • नारद पुराण के अनुसार भले ही वर- वधू के अन्य गुण मिल रहे हों, लेकिन अगर नाड़ी दोष उत्पन्न हो रहा है तो इसे किसी भी हाल में नकारा नही जा सकता क्योंकि यह वैवाहिक जीवन के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होता है।
  • यदि नक्षत्रो में नाड़ी दोष होता है तो ऐसे रिश्ते या तो नर्क समान गुजरते हैं या बेहद दुखद हालातो में टूट जाते हैं, यहाँ तक कि जोड़े में किसी एक की मृत्यु भी हो सकती है।

Nadi Dosh को दूर करने के उपाय-

  • वर एवं कन्या दोनों मध्य नाड़ी में उत्पन्न हो तो पुरुष को प्राण भय रहता है, इसी स्थिति में पुरुष को महामृत्युजंय मन्त्र का जाप करना अति आवश्यक होता है।
  • यदि वर एवं कन्या दोनों की नाड़ी आदि या अन्त्य हो तो स्त्री को प्राण भय की आशंका रहती है इसलिए इस स्थिति में कन्या को महामृत्युंजय मन्त्र अवश्य करना चाहिए।
  • नाड़ी दोष होने पर संकल्प लेकर किसी ब्राह्मण को गोदान या स्वर्णदान करना चाहिए, इसके अलावा अपनी सालगिरह पर अपने वजन के बराबर अन्न दान करना चाहिए एवं साथ में ब्राह्मण भोजन कराकर वस्त्र दान करना चाहिए।

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