यदि मंगल लग्न का स्वामी हो और नीच का भी हो, तो जीवन पर इसके क्‍या प्रभाव होते हैं?

Indian Astrology | 25-Nov-2022

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मंगल का प्रभाव ग्रहों की शक्ति और तेज को दिखाना है। यदि किसी व्‍यक्‍ति को मंगल से ताकत और शक्‍ति मिलती है, तो उसकी पॉवर अपने आप ही बढ़ जाती है। मंगल की वजह से व्‍यक्‍ति को अपने जीवन के हर पहलू में सफलता मिलती है। लेकिन अगर जन्‍म कुंडली में मंगल कमजोर हो और उचित परिणाम नहीं दे पा रहा हो, तो व्‍यक्‍ति को जीवनभर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों में साहस और बहादुरी की कमी होती है। ये लोग डरपोर होते हैं।

यह कहना ठीक नहीं होगा कि मंगल नीच होने पर व्‍यक्‍ति को अशुभ प्रभाव ही देता है। मंगल का प्रभाव और परिणाम और भी कई चीजों पर निर्भर करता है। नीच का होने पर मंगल व्‍यक्‍ति को शांत और दयालु भी बनाता है। यदि मंगल अच्‍छी स्थिति में है, तो व्‍यक्‍ति उत्‍साह से भरा रहेगा। उसे दूसरों का भय नहीं रहेगा। उसके अंदर की प्रतिभा छिप नहीं पाएगी और सबके सामने उसका टैलेंट दिख जाएगा।

मंगल के प्रभाव के कारण व्‍यक्‍ति हार नहीं मानता है और ये अपने आखिरी वक्‍त तक लड़ाई करते हैं। मंगल के कमजोर होने पर व्‍यक्‍ति आलसी और निराशा से घिर जाता है। मंगल के कमजोर होने पर व्‍यक्‍ति को हर काम मुश्किल दिखाई देता है।

मंगल का लग्‍नेश और नीच का होने पर प्रभाव

मंगल को आक्रामक ग्रह के रूप में जाना जाता है। किसी भी अन्‍य ग्रह की तुलना में मंगल ज्‍यादा एनर्जेटिक होता है। मंगल व्‍यक्‍ति की इच्‍छा, कार्य, एनर्जी, युद्ध, गुस्‍से, सेक्‍स और पॉवर आदि को प्रभावित करता है। जब मंगल अपने लग्‍न भाव में होता है, तो जातक में यह सारे गुण दिखाई देते हैं। मंगल की मेष और वृश्चिक राशि हैं और यह ग्रह इन दो राशियों का स्‍वामी ग्रह है। जब व्‍यक्‍ति के लग्‍न भाव का स्‍वामी मेष या वृश्चिक में हो मंगल उनके लिए लग्‍न का स्‍वामी बन जाता है। ऐसी स्थिति में लग्‍नेश मंगल का प्रभाव इन जातकों पर स्‍पष्‍ट रूप से देखा जा सकता है। इन दोनों लग्नों पर मंगल का प्रभाव अधिक प्रमुख होता है।

यदि लग्न का स्वामी मंगल नीच का हो तो जन्म कुण्डली में इसका प्रभाव अलग-अलग रूप से देखने को मिलता है। मंगल की कमजोर स्थिति अलग तरह से जातक को प्रभावित करती है। इससे उसकी गतिशीलता में परिवर्तन देखने को मिल सकता है। व्यक्ति अपने काम और विचारधारा के साथ जो तालमेल दिखाता है वह दूसरों को आसानी से स्वीकार्य नहीं होता है। जब मंगल नीच का होता है तो यह जातक के जीवन में संघर्ष करने की शक्ति को बढ़ाता है। व्यक्ति को उसके काम का श्रेय नहीं मिलता जिसे हमेशा दूसरे छीन लेते हैं।

मंगल तय करता है कि व्‍यक्‍ति किस प्रकार काम करेगा और उसके काम करने का तरीका क्‍या होगा। जब मंगल कमजोर होता है, तो व्‍यक्‍ति के व्‍यहार में नरमी तो दिखती है लेकिन उसकी नाक पर हर समय गुस्‍सा रहता है। कभी-कभी व्‍यक्‍ति अपने मन के अंदर ही चीजों को छिपाकर या दबाकर रख लेता है जो बाद में चलकर उसके लिए ही परेशानियों का कारण बन सकता है। व्‍यक्‍ति करने से ज्‍यादा बोलने में विश्‍वास करता है। यदि मंगल मजबूत हो तो जातक अपना हर काम समय पर पूरा करता है। लेकिन जब यही ग्रह नीच का होता है तो इसका अलग प्रभाव देखने को मिलता है। व्‍यक्‍ति बेकार और बेवजह की चीजों में उलझ जाता है। उसकी हर किसी के साथ बहस या मतभेद होने लगते हैं और उसकी दूसरों को जवाब देने की क्षमता भी कमजोर हो जाती है।

व्यक्ति की यौन इच्छाएं भी बहुत मजबूत और सक्रिय होती हैं। इन चीजों के प्रति उनका झुकाव ज्यादा रहता है। नीच मंगल का प्रभाव जातक की यौन इच्छा के झुकाव को अलग तरह से प्रकट करता है। मंगल की ऊर्जा का कमजोर होना भी रिश्तों की संतुष्टि में कमी ला सकता है। इन बातों का प्रभाव गृहस्थ जीवन पर भी कई तरह से पड़ता है।

लग्‍नेश मंगल का प्रभाव जीवन के अपने लक्ष्‍य को पाने की इच्‍छा पैदा करता है। मंगल कमजोर हो तो जातक अपने लक्ष्‍य को लेकर प्रतिबद्ध नहीं हो पाता है। वो दूसरों से प्रतिशोध लेने की प्रवृत्ति रखता है। ध्‍यान ना लग पाने की वजह से उसकी जिंदगी में समस्‍याएं पैदा हो सकती हैं। कई बार व्‍यक्‍ति लापरवाह हो जाता है जो कि मंगल के कमजोर होने का ही एक प्रभाव है। व्‍यक्‍ति अपने लक्ष्‍य को पाने के लिए सही तरह से अपनी शक्तियों का इस्‍तेमाल नहीं कर पाता है। कई स्‍तरों पर उसकी एनर्जी में कमी आती है और वो कोई एक लक्ष्‍य तक भी नहीं पहुंच पाता है। जब मंगल कमजोर होता है, तो व्‍यक्‍ति को अच्‍छे परिणाम नहीं मिल पाते हैं। वो अपनी क्षमता और स्किल्‍स को ठीक तरह से विकसित नहीं कर पाता है। बाहर से तो वो मजबूत दिखता है, लेकिन अंदर से कमजोर हो सकता है। उसके लिए जीवन की चुनौतियों का सामना करना बहुत मुश्किल हो सकता है। जातक के मन में बहुत गुस्‍सा भरा हो सकता है और कभी-कभी उसे घुटन भी महसूस हो सकती है।

मंगल को मजबूत करने के उपाय

यदि आपकी कुंडली में मंगल नीच स्‍थान में बैठा है तो इसके प्रभाव से आपको कई परेशानियां हो सकती हैं। जब मंगल नीच का होता है, तो कुछ ज्‍योतिषीय उपायों की मदद से इसके शुभ प्रभाव पाने का प्रयास करना महत्‍वपूर्ण हो जाता है। मंगल को बली करने के लिए आपको मंगल मंत्र का जाप करना चाहिए। मंगलवार को मंगल ग्रह का दिन माना जाता है इसलिए इस ग्रह को प्रसन्‍न करने के लिए आपको मंगलवार के दिन ही जप और पूजा करनी चाहिए। मंगल को प्रसन्‍न करने के लिए विष्‍णु मंदिर में लाल रंग के फूल और लाल चंदन अर्पित करें। मंगल का शुभ प्रभाव पाने के लिए भाई-बहनों और दोस्‍तों के साथ अच्‍छे संबंध बनाकर रखें।