घर या ऑफिस में लगाएं वास्तु दोष निवारण यंत्र

Indian Astrology | 06-Apr-2020

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भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की तृतीया तिथि, शनिवार, कृतिका नक्षत्र, व्यतिपात योग,विष्टि करण, भद्रा के मध्य में कुलिक मुहूर्त में वास्तु पुरुष की उत्पति हुई उसकी भयंकर गर्जना से चकित होकर ब्रह्मा जी ने कहा जो भी व्यक्ति ग्राम, नगर, दुर्ग, मकान, जलाशय, उद्यान के निर्माणारम्भ के समय मोहवश आपकी उपासना नहीं करेगा या आपके यंत्र को स्थापित नहीं करेगा उसे पग-पग पर बाधाओं का सामना करना पड़ेगा| मकान, दुकान, कंपनी, धर्मशाला, मंदिर, आदि में वास्तु का निवास होता है| यदि किसी कारण स्थान निर्माण में वास्तु दोष उत्पन्न होता है तो वास्तु देवता को प्रसन्न और संतुष्ट करने के लिए अनेक उपाय किये जाते हैं| जिनमे वास्तु यंत्र सरल एवं अधिक उपयोगी है| इस यंत्र को स्थापित करने से वास्तु दोष का निवारण होता है| तथा उस स्थान में सुख समृद्धि का वर्चस्व होता है| इस यंत्र को चल या अचल दोनों प्रकार से प्रतिष्ठित किया जाता है| प्रत्येक वर्ष यज्ञादि में, पुत्र जन्म पर, यज्ञोपवीत, विवाह, महोत्सवों में, जीर्णोद्धार, धान्य संग्रह में, बिजली गिरने से टूटे हुए घर में, अग्नि से जले हुए घर में, सर्प व चांडाल से घिरे हुए घर पर, जिस घर में रात्रि में मृत वास करे, जिस घर में स्त्रियों के झगड़े होते हों, जिस घर में कबूतर रहते हों और अनेक प्रकार के उत्पात होते हों वहां वास्तुयंत्र अवश्य स्थापित करें| हम प्रत्येक प्रकार के वास्तु दोष दूर करने के लिए वास्तु शांति करवाते हैं। उसके कारण ज़मीन या बांधकाम में, प्रकृति अथवा वातावरण में रहा हुआ वास्तु दोष दूर होता है। परिस्थिति में प्रकृति या वातावरण के द्वारा होने वाली बुरे दोष को टालने के लिए आपको एक निश्चित वास्तु शांति पूजा करानी चाहिए। गृह प्रवेश के पूर्व वास्तु शांति कराना शुभ होता है। इसके लिए शुभ नक्षत्र वार एवं तिथि इस प्रकार हैं- शुभ वार- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, व शुक्रवार शुभ हैं। शुभ तिथि- शुक्लपक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी एवं त्रयोदशी। शुभ नक्षत्र- अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, उत्ताफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, रेवती, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, स्वाति, अनुराधा एवं मघा। अन्य विचार- चंद्रबल, लग्न शुद्धि एवं भद्रादि का विचार कर लेना चाहिए।

वास्तु दोष निवारण यंत्र का महत्व-

वास्तु दोष निवारण यंत्र बहुत ही शक्तिशाली यंत्र होता हैं. ये यंत्र किसी भी इमारत की वास्तु में दोष के कारण उत्पन्न होने वाले हानिकारक प्रभावों से हमें बचते हैं| वास्तु दोष निवारण यंत्र एक ऐसा यंत्र है जो सभी पांच तत्वों-पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और अंतरिक्ष के बीच संतुलन बनाकर हमारे घर और काम के स्थान पर समृद्धि, मानसिक शांति , खुशी और सामंजस्य को प्राप्त करने में मदद करता है| वास्तु यंत्र इमारत, कमरे, दरवाजे, खिड़कियां, फर्नीचर आदि स्थान से संबंधित लगभग हर दोष पर काबू पा लेता हैं| ये यंत्र लगभग सभी मौजूदा वास्तु दोष के घर, कार्यालय या व्यापार पर पड़े बुरे प्रभावों को घटाता हैं, वास्तु यंत्र न केवल सभी निहित वास्तु दोष का इलाज करके उनके बुरे प्रभावों को दूर करने में मदद करता है, बल्कि सकारात्मक और लाभदायक प्रभाव को भी उत्पन्न करता हैं|

वास्तु दोष निवारण यन्त्र:-

वास्तु दोष निवारण यन्त्र का उपयोग हमारे जीवन में संतुलन व हमारे बाहरी और आंतरिक वास्तु में सामंजस्य बनाए रखता है इस प्रकार हमारे जीवन में अधिक से अधिक खुशियाँ रहती हैं| '' ॐ नमो स्थान देवताभ्यो नमः कुलदेवताभ्यो नमः''। प्रातःकाल के समय घर में कपूर जलाएं और उस पर थोड़ी गुग्गल रखें यह मन्त्र बोलते हुए पुरे घर में घुमाएं, इससे सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति मिल जाती है| अपने घर के प्रत्येक कमरे में जाने दें। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा ख़त्म होगी और वास्तुदोषों का नाश होगा।


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वास्तु दोष यंत्र स्थापन विधि:-

वास्तु यंत्र के साथ-साथ वास्तु पुरुष, ब्रह्मा, विष्णु, महेश की पूजा करके, अन्य सभी देवताओं और देवियों की पूजा की जाती है| वास्तु पूजा से वातावरण में फैली हुई सभी बाधाओं को खत्म किया जा सकता है|  वास्तु अनहोनी, नुकसान और दुर्भाग्य से भी बचाता है, ये घर के साथ-साथ काम के स्थान पर भी उत्तर या पूर्व दिशा में स्थापित किया जा सकता है| सबसे पहले स्नान आदि से निवृत होकर अपने मन को शांत करें, ये सुनिश्चित कर लें कि यंत्र इस प्रकार रखा हो की आप का मुंह पूर्व दिशा की ओर हो, वास्तु दोष निवारण यंत्र के आगे दीया जला दें, और यंत्र के आगे ताजा फूल रख दें| 21 बार बीज मंत्र का जाप करें, अब आप जो कुछ भी अपने दिल की इच्छा से मांगना चाहते है उन्हें ऊंची आवाज में बोलकर अपनी पूजा को समाप्त करें,

बीज मंत्र जो वास्तु दोष निवारण यंत्र के साथ पढ़ा जाता है, "  ॐ आकर्षय महादेवी राम राम प्रियं हे त्रिपुरे देवदेवेषि तुभ्यं दश्यमि यंचितम''|

वास्तु दोष निवारण के उपाय:-

ऐसा माना जाता है, कि वास्तु दोष निवारण यंत्र उस स्थान को पवित्र करता है, जहाँ इस यंत्र को स्थापित किया जाता है। इस यंत्र को पश्चिम की ओर पूर्व दिशा में लगाना सर्वोत्तम माना गया है। इस यंत्र का प्रभाव सूर्य की बढ़ती किरणों के साथ और बढ़ता है। इस यंत्र को अपने घर या कारोबार में स्थापित करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस यंत्र के सर्वोत्तम लाभ प्राप्त करने के लिए उचित स्थान पर स्थापित करना आवश्यक है। गलत स्थान पर स्थापित करने से आपको इस यंत्र का लाभ प्राप्त नहीं होगा।

वास्तु दोष के कारण हो रही परेशानियों को खत्म करने के लिए इस यंत्र का प्रयोग किया जाता है।

इस यंत्र की स्थापना करने से नवग्रहों से शुभ फल प्राप्त होते है।

वास्तु दोष निवारण यंत्र घर की शांति के लिए भी बहुत लाभकारी होता है।

यह यंत्र मानव जीवन में हो रहे तनाव को भी दूर करता है।

यह यंत्र नकारात्मक ऊर्जा को हटाकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

वास्तु दोष निवारण यंत्र से आपको स्वास्थ्य, सुरक्षा और समृद्धि की प्राप्ति होती है।


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कुछ अन्य उपाय-

अपने घर में ईशान कोण अथवा ब्रह्मस्थल में स्फटिक श्रीयंत्र की शुभ मुहूर्त में स्थापना करें। यह यन्त्र लक्ष्मीप्रदायक भी होता है, और साथ ही साथ घर में स्थित वास्तुदोषों का भी निवारण करता है।

वास्तुदोष के कारण यदि घर में किसी सदस्य को रात में नींद नहीं आती या स्वभाव चिडचिडा रहता हो, तो उसे दक्षिण दिशा की तरफ सिर करके शयन कराएं। इससे उसके स्वभाव में बदलाव होगा और अनिद्रा की स्थिति में भी सुधार होगा।

अपने घर के मन्दिर में घी का एक दीपक नियमित जलाएं तथा घंटी भी बजाना चाहिए जिससे सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा घर से बहार निकलती है।

हल्दी को जल में घोलकर एक पान के पत्ते की सहायता से अपने सम्पूर्ण घर में छिडकाव करें, इससे घर में लक्ष्मी का वास तथा शांति भी बनी रहती है।

घर में सफाई हेतु रखी झाडू को रस्ते के पास नहीं रखें, यदि झाडू के बार-बार पैर लगता है, तो यह धन-नाश का कारण होता है। झाडू के ऊपर कोई वजनदार वस्तु भी नहीं रखें।

यदि आपके घर का मुख्य द्वार दक्षिणमुखी है, तो यह भी मुखिया के के लिये हानिकारक होता है. इसके लिये मुख्यद्वार पर श्वेतार्क गणपति की स्थापना करनी चाहिए।

अपने घर में दीवारों पर सुन्दर, हरियाली से युक्त और मन को प्रसन्न करने वाले चित्र लगाएं। इससे घर के मुखिया को होने वाली मानसिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

घर के उत्तर-पूर्व में कभी भी कचरा इकट्ठा न होने दें और न ही इधर भारी मशीनरी रखें।

अपने वंश की उन्नति के लिये घर के मुख्यद्वार पर अशोक के वृक्ष दोनों तरफ लगाएं।

यदि आपके मकान में उत्तर दिशा में स्टोररूम है, तो उसे यहाँ से हटा दें। इस स्टोररूम को अपने घर के पश्चिम भाग या नैऋत्य कोण में स्थापित करें।

अपने घर के उत्तरकोण में तुलसी का पौधा लगाएं|

अपने घर के मन्दिर में देवी-देवताओं पर चढ़ाए गए पुष्प-हार दूसरे दिन हटा देने चाहिए और भगवान को नए पुष्प-हार अर्पित करने चाहिए।

अपने घर के पूजा घर में देवताओं के चित्र भूलकर भी आमने-सामने नहीं रखने चाहिए इससे बड़ा दोष उत्पन्न होता है।

अपने घर के ईशान कोण में स्थित पूजा-घर में अपने बहुमूल्य वस्तुएँ नहीं छिपानी चाहिए। पूजाकक्ष की दीवारों का रंग सफ़ेद, हल्का पीला अथवा हल्का नीला होना चाहिए।

घर में किसी भी कमरे में सूखे हुए पुष्प नहीं रखने दें। यदि छोटे गुलदस्ते में रखे हुए फूल सूख जाएं, तो नए फूल लगा दें और सूखे पुष्पों को निकालकर बाहर फेंक दें।

सायंकाल के समय घर के सभी सदस्य मिलकर आरती करें। इससे भी वास्तुदोष दूर होते हैं।


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