नवरात्रे  तथा  घट स्थापन ? 
 21 मार्च से ही नव संवत 2072 का शुभारंभ है तथा चैत्र  नवरात्रे आरंभ हो रहे हैं जो 28
तारीख तक रहेंगे। तृतीया तिथि का क्षय होने से नवरात्रे 8 दिन के है। अष्टमी का कन्या पूजन, 27 मार्च और नवमी अर्थात जन्मोत्सव 28 तारीख को है। 
घट स्थापना का मुहूर्त  
प्रातः: 6.30 से 7.35 
प्रातः 8.15 से 9.45 
दोपहर- 12.10 से 12.50 बजे तक ,अभिजीत मुहूर्त
कैसे करें घट स्थापना ? 
घर का एक ऐसा स्वच्छ स्थान सुनिश्चित कर लें जहां कोलाहल न हो और पूजा के समय आपका मुख पूर्व या उत्तर की ओर हो और आप आसन पर बैठें। मिटट्ी या किसी धातु के कलश में गंगा जल,  एक सिक्का, जौ,  चावल , रोली व तिल डालें। कलश के मुंह पर 5 या 7 आम के पत्ते रखें। कलश पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बना दें और मौली बांध दें। 
एक पानी वाले नारियल पर लाल चुनरी या वस्त्र बांध कर लकड़ी की चैकी या मिटट्ी की बेदी पर ईषान कोण में स्थापित कर दें ।
जौ या खेतरी बीजना
इसी समय मिट्टी के गमले या मिट्टी की बेदी पर भुरभुरी मिटट्ी में, जौ बीज कर , आम के पत्तों से ढंक दे, तीसरे दिन अंकुर निकल आएंगे।  हरे रंग के अंकुर सौभाग्य व सुख समृद्धि के सूचक हैं। 
मूर्ति / चित्र स्थापना
एक लकड़ी के पीढ़े या चैकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछा कर मां दुर्गा की या भगवान राम या हनुमान जी की छोटी मूर्ति या चित्र पूजा स्थान या घर के मंदिर में लाल या पीले वस्त्र पर स्थापित करें और रौली, चंदन , पुष्पादि अर्पित करें । 
अख्ंाड ज्योति एवं पाठ 
यदि संभव हो और सार्मथय भी हो तो देसी घी का अखंड दीपक जलाएं। इसके आस पास एक चिमनी रख दें ताकि बुझ न पाए। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। 
नित्य पूजन
समयानुसार तथा समय की उपलब्धतानुसार दुर्गा सप्तशती चाहे पूरी पढं़े या एक दो अध्याय। प्रतिदिन सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पढ़ने का भी लाभ मिलेगा। ‘ओम् ऐं हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
नवरात्रि की तालिका
              
                
                  
                    | तिथि  | 
                     दिन  | 
                     पूजा  |             
                  
                
                
                  
                    | 21 मार्च-प्रतिपदा-  | 
                     शनिवार - | 
                     कलश स्थापना एवं देवी शैल पुत्री की आराधना | 
                   
        
                    | 22 मार्च-द्वितीया एवं तृतीया- | 
                     रविवार- | 
                     देवी ब्रहमचारिणी एवं चंद्रघंटा की पूजा | 
                   
       
                     23 मार्च- चतुर्थी-  | 
                     सोमवार-  | 
                     कूश्माण्डा देवी की उपासना  | 
                       
                    |  24 मार्च- पंचमी-  | 
                     मंगलवार-  | 
                     स्कंदमाता की पूजा  | 
                   
    
                    |  25 मार्च-षष्ठी  | 
                     - बुधवार - | 
                     हात्यायनी पूजा  | 
                   
    
                    |  26 मार्च- सप्तमी-  | 
                     वीरवार-  | 
                     कालरात्रि पूजा  | 
                   
    
                    |  27 मार्च- दुर्गाष्टमी - | 
                     शुक्रवार -  | 
                     महा गौरी आराधना
 | 
                   
    
                    |  28 मार्च | 
                     शनिवार- | 
                     सिऋिदात्री उपासना
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 क्या है दुर्गा सप्तषी में?
इसमें 700ष्लोक ब्रहमा, वशिष्ठ व विष्वामित्र द्वारा रचित हैं ,इसीलिए इसे सप्तषी कहते हैं। इसमें 90 मारण के, 90 मोहन के, 200 उच्चाटन के, 200 स्तंभन के,60- 60 विद्वेशण के कुल मिला कर 700ष्लोक हैं। यह तंत्र व मंत्र दोनों का अद्वितीय संपूर्ण ग्रंथ है ।इनका दुरुपयोग न हो इसलिए , तीनों विद्वानों ने इन्हें श्रापित भी कर दिया। अतः पहले ष्षापोद्वार के 20 मंत्र पढ़ कर ही दुर्गा सप्तषी का पाठ आरंभ होता है। 
व्रत 
पूरे नौ दिन अथवा सप्तमी ,अश्टमी या नवमी पर निराहार उपवास रखा जा सकता है। इस मध्य केवल फलाहार भी किया जा सकता है। 
 कन्या पूजन 
 अश्टमी या नवमी पर 9 वर्श की कन्या तथा एक बालक को घर बुलाकर उनका पूजन करके भोजन करवाएं।उन्हें उचित दक्षिण एवं उपहार सहित विदा करें । 
 किस समस्या के लिए कैसे मंत्र पाठ करें ?
नवरात्रि में साधना 
1.व्यापार वृद्धि-आर्थिक उन्नतिः उत्तरामुखी बैठ कर काली हकीक माला से 3 दिन 3 माला रोज करें । 
 मंत्र 
ओम् हृीं श्रीं क्लीं क्रों घण्टाकर्ण महावीर लक्ष्मीं पूरय पूरय सौभाग्यं कुरु कुरु स्वाहा !! 
 2-ऋण मुक्तिः 
पष्चिम मुख बैठ के ,लाल आसन पर पीले वस्त्र पहन के 3 काली हकीक माला करें। 
 मंत्रः ओम् भं भैरवाय नमः !! 
 3.विदेष यात्रा बाधाः 
लाल वस्त्र पहन,पष्चिम मुख करके हनुमान जी का ध्यान करते हुए 54 बार
मंत्र जाप करें-
ओम् क्षं फट् !! 
 4.पद प्रतिश्ठाः 
सफेद आसन पर सफेद वस्त्र पहन के उत्तरामुखी होके 7 माला करें -
मंत्रः हं ह सें ह स क रीं ह सें !! 
 5. प्रमोशन  
सफेद वस्त्र पहन के उत्तरामुखी हो एक माला रोज करें 
मंत्र-ऐं ओम् हृीं नीलरातायै क्लीं हुं फट्!! 
 6.विवाहः   
लाल या सफेद वस्त्र पहन कर ,पूर्वामुखी हो लड़का एक माला रोज करे ।
मंत्रः पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्! 
तारणीं दुर्ग संसारसागरस्य कुलोद्भवाम्!! 
 कन्या का मंत्रः
 ओम् गौरी ! षंकराधीषे ! यथा त्वं षंकरप्रिया! 
तथा मां कुरु कल्याणि कांता सदुर्लभाम् !! 
 7.मकानः    
रक्तचंदन की माला से उत्तरामुखी हो कुल 21 माला करें 
मंत्रः ओम् देवोत्थाय नमः !! 
 8.संतान विवाहः 
लाल वस्त्र पहन ,उत्तरामुखी हो ,7 माला रोज करें 
-मंत्रः ओम् क्रीं क्लीं विवाह बाधा निवारणाय फट् !! 
 9.स्थाई संपत्ति:  
पूर्वामुखी हो,पीले वस्त्र पहन कमलगटटे की माला से 3 माला रोज करेंः 
ओम् पद्मावती पद्मनेत्रे लक्ष्मीदायिनी सर्वकार्य सिद्धि करि करि ! 
ओम् ह्ीं श्री पद्मावत्यै नमः!! 
 10.साजिष व शड़यंत्र मुक्तिः   
दक्षिणामुखी हो लाल वस्त्र पहन,मूंगे की माला से 3 माला रोज करें। 
मंत्रः क्रीं क्रीं क्रीं ह्ीं ह्ीं हूं हूं दक्षिणे कालिके 
क्रीं क्रीं ह्ीं ह्ीं हूं हंू सवाहा !! 
 11.कोर्ट केसः   
पूर्वामुखी बैठ,लाल वस्त्र पहन 21 माला 7 दिन करें ।
मंत्रःषूलेन पाहि नो देवि पाहिखड्गेन चाम्बिके ! 
घण्टा स्वनेन नः पाहि चापज्यानिः स्वनेन च!! 
 12. शत्रु विजयः  
दक्षिणामुख हो,लाल वस्त्र पहन,3 माला रोज करें ।
मंत्रः ओम् क्लीं ऐं वज्र 
वैरोचनीये विजयसिद्धिं षत्रुनाषाय फट्!! 
 13. सर्व षत्रु संहारः  
मूंगे की माला से लाल वस्त्र पहन, एक माला करें । 
मंत्रः ओम् ऐं ह्ीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै !! 
नए संवत एवं नवरात्रि का सभी राषियों पर प्रभाव इस प्रकार रहेगा- 
मेषः धार्मिक कर्मों व षिक्षा में अधिक कार्य। सरकारी कार्यों में सफलता मिलेगी।
बृशः व्यवसाय में वृद्धि, नौकरी में पदोन्नति, नेता हैं तो मंत्री बनने के योग।
मिथुनः चहुंमुखी विकास, बिजनेसमैन के कई नए आयाम खुलेंगे, विद्यार्थी विदेष जा सकते हैं।
कर्कः नई नौकरी, स्थानान्तरण, खर्च अधिक।
सिंहः सफलता, मान सम्मान बढ़ेगा, बड़े लोगों से लाभ।
कन्याः व्यवसाय या नौकरी में परिवर्तन व पदोन्नति।
तुलाः सरकारी या प्राइवेट कंपनी के खर्चे पर विदेष यात्रा, परिवार में वृद्धि।
वृश्चिकः नए काम की इच्छा, प्रापर्टी में वृद्धि या खरीद।
धनुः छात्रों को कैरियर में अप्रत्याषित सफलता, लक्ष्य की प्राप्ति सुगम।
मकरः परिवार में विवाह या अन्य मांगलिक कार्य संभव, विदेष से षुभ सूचना।
कुंभः किसी भी तरह का रिस्क ले सकते हैं, गड़ा, पड़ा, रुका धन मिलेगा।
मीनः देश विदेश यात्रा से लाभ, मान सम्मान में वृद्धि।