जब आप हो कोलेस्ट्रोल से परेशान

Anamika Prakash Shrivastav | 22-Jun-2016

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पीले रंग का चर्बीदार तत्व कोलेस्ट्रोल शरीर का एक आवश्यक पदार्थ हैं। मजे की बात यह हैं कि आवश्यक होते हुए भी इसके बारे में लोगों की राय अच्छी नहीं हैं। उसका एक कारण हैं, यह हृदय रोगों का जनक हैं। प्रत्येक वह व्यक्त् िजिसके खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा अधिक हो, वह कभी भी हृदयाघात या उच्च रक्तचाप का शिकार हो सकता हैं। कोशिकाओं की बाहरी झिल्ली को बनानेवाला यहीं होता हैं तथा पित्त के पाचक रसों के मिश्रणों में भी यह मुख्य तत्व के रूप में होता हैं। यह चर्बी के आवरण में रहता हैं और एस्ट्रोजन तथा एंड्रोजन नामक सेक्स हारमोनों को पृथक करता हैं। इसके अतिरिक्त यह चर्बी को आवश्यक स्थानों पर पहुंचाना, शरीर को सुरक्षात्मक कवच प्रदान करना, लाल रक्त कणों तथा मांसपेशियों की झिल्लियों की सुरक्षा करना, जैसे महत्वपूर्ण काम करता हैं। अधिकांशतया कोलेस्ट्राल का निर्माण यकृत में ही होता हैं। हां 20-30 प्रतिशत कोलेस्ट्रोल भोजन से मिलता हैं। कुछ कोलेस्ट्रोल अंतड़ि़यों में भी होता हैं और भोजन के कोलेस्ट्रोल के साथ मिल जाता हैं। करीब 40-50 प्रतिशत कोलेस्ट्रोल शरीर शोषित कर लेता हैं। एक अध्ययन से पता चला हैं कि ज्यादा कोलेस्ट्रोल पदार्थों के खाने से धीरे धीरे शरीर द्वारा ग्रहण करने की क्षमता कम होती जाती हैं। पेट और गुर्दे के माध्यमों से शरीर अतिरिक्त कोलेस्ट्रोल को बाहर निकाल लेती हैं। खून में प्रति 100 किलो मीटर में कोलेस्ट्रोल का सामान्य स्तर 150-250 मि.ग्रा. होता हैं। हां! एथ्रोस्क्लोरसिस के शिकार व्यक्ति के 100 म.ली. रक्त में इसकी मात्रा 250 मि.ग्राम से अधिक होती हैं। रक्त में ेकोलेस्ट्रोल कुछ कुछ प्रोटीन और लिपोप्रोटीनों से जुड़ा होता हैं जो चर्बी के सहायक होते हैं। जिन्हें लिपिडस कहते हैं। लिपोप्रोटीन दो तरह के होते हैं। 1. कम घना 2. अधिक घना इन्हें क्रमशः एल.जी.एल और एच.जी.एल. कहते हैं। एल.जी.एल. रक्त नाड़ियों में जमनेवाला खतरनाक कोलेस्ट्रोल माना जाता हैं। कोलेस्ट्रोल में इसकी जितनी अधिक मात्रा रहती हैं, हृदय रोगों का उतना ही अधिक खतरा रहता हैं, जबकि एच.जी.एल. को रक्त परिभ्रमण से निकलता हैं और इस तरह हृदय रोगों के खतरे को कम करता हैं। सन् 1769 से शोधार्थियों के लिए कोलेस्ट्रोल अध्ययन का विषय बना हुआ हैं। फ्रांस के वैज्ञानिक पोल्यूटियर डे-ला साले ने इस तत्व को पहचाना था और जानकारी दी थी। उनलके बाद अमेरिका ने नेशनल हर्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट ने करीब 4 साल बाद अध्ययन का परिणाम घोषित किया था, यह 10 वर्ष का अध्ययन औषधि विज्ञान की दुनिया में सबसे खर्चीला बैठा हैं और इसी शोध के बाद पता चला कि हृदय रोग शरीर में कोलेस्ट्रोल के स्तर और वह भी एल.जी.एल. की मात्रा पर निर्भर करता हैं। अनुमान के अनुसार एक प्रतिशत कोलेस्ट्रोल की शरीर में कमी से 2 प्रतिशत हृदय रोग की संभावना कम होती हैं। हृदय रोग से बचने के लिए एल.जी.एल. की मात्रा कम करना और एच.जी.एल. की मात्रा बढ़़ाना जरूरी हैं। यह भोजन और जीवन शैली में परिवर्तन से ही सम्भव हैं। सबसे पहले कोलेस्ट्रोल और चर्बी युक्त भोजन जिससे एल.जी.एल. की मात्रा बढ़़ती हैं, इन पदार्थों को कम किया जाये। ये पदार्थ हैं अंडे, मांस, चीज़, मक्खन, दूध यानि जानवरों से मिलनेवाले सारे पदार्थ तथा नारियल और पाम तेल (जिनमें चर्बी ज्यादा होती हैं) के बदले सनफ्लावर सोयाबीन के तेल का प्रयोग किया जा सकता हैं। इसमें एल.जी.एल. की मात्रा कम होती हैं। अमेरिकन हर्ट एसोसियेशन के अनुसार रोज पुरूषों को 300 एम.जी. और महिलाओं को 275 एम.जी. कोलेस्ट्रोल से ज्यादा नहीं खाना चाहिए,ख् साथ ही चर्बी तत्व भोजन के 30 प्रतिशत से ज्यादा न हो और न तो 1/3 से ज्यादा का उपयोग किया जाये। हां, जिनके खून मे ंपहलजे से ही कोलेस्ट्रोल की मात्रा ज्यादा हो उनको तो और भी बंदिशें जरूरी हैं। भोजन के तंतु भी कोलेस्ट्रोल की मात्रा को प्रभावित करते हैं और तंतुओं से युक्त भोजन एल.डी.एल. कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता हैं तथा तंतुओं के सबसे अच्छे स्रोत हैं। गेहूं की भूसी, अनाज जैसे गेंहू, चावल, जौ, आजलू, गाजर, फलों जैसे आम, अमरूद और हरी सब्जियों जैसे पत्तागोभी, भिंडी, चुकंेदर आदि। लेसिथिन भी चर्बीदार भोजन होता हैं और इसमें, फोस्फोलिपिडसा भी भरपूर मात्रा में होता हैं। यह कोलेस्ट्रोल के स्तर के घटने में अत्यंत फायदेमंद होता हैं यह कोलेस्ट्रोल को छोटे टुकड़ों में विभाजित कर देता हैं। आप यदि इस खाद्य पदार्थ का उपभोग करें तो कोलेस्ट्रोल नाड़ि़यों में इकट्ठा नहीं हो पाता। यह बाॅइलएसिड का भी निर्माण करता हैं, जो कोलेस्ट्राॅल की मात्रा खून में कम कर देता हैं। अंडे की जर्दी वनस्पति तेल, साबुत अनाज, सोयाबीन और दूध में लेसिथिन के स्रोत होते हैं। शरीर की कोशिकायें भी आवश्कतानुसार इसका समन्वय कर लेती हैं। अगर विटामिन ’’बी’’ उपलब्ध हो तो विटामिन बी कोलीन और इनोसिटील युक्त भोजन यकृत यश विटामिन बी मस्तिष्क से निकलता हैं। रक्त कोलेस्ट्रोल को कम कर सकता हैं। कभी कभी विटामिन ई रक्त में लेसिथिन की मात्रा बढ़ा कर कोलेस्ट्रोल की मात्रा कम कर देता हैं और इससे आवश्यक चर्बी के क्षार भी नष्ट होते हैं जो अक्सर आॅक्सीजन से नष्ट हो जाते हैं। नियमित व्यायाम भी एल.डी.एम. का स्तर बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता हैं।