जानें क्या है हेल्थ का ज्योतिष के साथ कनेक्शन ।
Future Point | 24-May-2019
Views: 4560ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रह मानव शरीर के किसी न किसी अंग का प्रतिनिधित्व करते हैं और इन्हीं ग्रहों के प्रभाव स्वरुप हमें फल प्राप्त होते हैं और ज्योतिष विधा से इन ग्रहों के द्वारा स्वास्थ्य का हाल जाना जा सकता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की चाल उनकी दशा और दिशा हमारे जीवन में बहुत कुछ तय करती है। जीवन में जो भी अच्छी या बुरी घटना घटती है, यह सब हमारे ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि इन ग्रहों का हमारे शरीर की बनावट तथा अंगों से सीधा कनेक्शन है, जब कोई भी ग्रह पीड़ित होकर लग्न, लग्नेश, षष्ठम भाव अथवा अष्टम भाव से सम्बन्ध बनाता है. तो ग्रह से संबंधित अंग रोग प्रभावित हो सकता है.
आइये आपको बताते हैं जातक की राशि अनुसार प्रभावित अंग और ग्रहों के द्वारा पड़ने वाले स्वास्थयिक प्रभाव के बारे में ।
जातक की राशि अनुसार ग्रहों से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव -
मेष राशि -
मेष राशि सिर या मस्तिष्क की कारक है अतः यह राशि मस्तिष्क, मेरूदण्ड तथा शरीर की आंतरिक तंत्रिकाओं पर प्रभाव डालती है यदि मेष राशि के जातक की कुंडली में मंगल नीच का हो अथवा इस पर बुरे ग्रहों की दृष्टि हो तो जातक को इस ग्रह से संबंधीत बिमारीयों का सामना करना पड़ सकता है.
वृषभ राशि -
वृषभ राशि मुख की कारक राशि है तथा इसका स्वामी शुक्र है. इसके प्रभावित होने पर व्यक्ति को होने पर मुंह संबंधी बीमारी छाले, तुतलाहट या हकलाना, बोलना में दिक्कत आदि की शिकायत रहती है.
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मिथुन राशि -
मिथुन राशि वक्ष, छाती, भुजाओं व श्वास नली की कारक है. और मिथुन राशि का स्वामी बुध है यदि मिथुन राशि के जातक की कुंडली में बुध ग्रह नीच का हो या अन्य क्रूर ग्रहों से पीड़ित हो तो व्यक्ति को फेफ़डों से संबंधित रोग जैसे टी.बी, सांस लेने में दिक्कत, गैस व अपच या माँस पेशियों से संबंधित रोग हो सकते हैं.
कर्क राशि -
कर्क राशि मन व हृदय की कारक है और कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है, यदि जातक की कुण्डली में चन्द्रमा नीच का या पीड़ित हो तो जातक को मानसिक तनाव अवसाद, त्वचा व पाचन संस्थान पर विपरीत प्रभाव जैसे रोगों का सामना करना पड़ सकता है.
सिंह राशि -
सिंह राशि गर्भ व पेट की कारक है और सिंह राशि का स्वामी सूर्य है, इस राशि के जातक की कुंडली में सूर्य ग्रह के प्रभावित होने पर रक्त संचार शक्ति प्रभावित हो सकती है. ह्वदयाघात, हडि्डयों की बीमारी व नेत्र रोग भी परेशान कर सकते हैं.
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कन्या राशि -
कन्या राशि पेट व कमर की कारक हैं. और कन्या राशि के स्वामी बुध हैं अतः कन्या राशि के जातक की कुंडली में बुध नीच का या अन्यथा बुध पीड़ित होने पर पेट, पाचन क्रियाएं, यकृत संबंधित रोग एवं गुप्त रोगों का खतरा हो सकता है.
तुला राशि -
तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं. अतः तुला राशि के जातक की कुंडली में शुक्र पीड़ित या नीचस्थ होने पर व्यक्ति को जननांग व मूत्राशय संबंधित रोगों प्रभावित कर सकते हैं. महिलाओं के मासिक धर्म व गर्भ धारण संबंधी क्रिया भी इसी के कारण प्रभावित होती है.
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वृश्चिक राशि -
वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं. यह राशि गुप्तांगों की कारक है, अतः वृश्चिक राशि के जातक की कुंडली में मंगल पीड़ित होने पर या नीच में स्थित होने पर गुदा, लिंग, जननांग, यकृत, मस्तिष्क संबंधी व आंत संबंधी रोग परेशान कर सकते हैं.
धनु राशि -
धनु राशि के स्वामी बृहस्पति है. यह राशि जांघों व नितम्ब की कारक है नीचस्थ व पीड़ित गुरू जातक को लीवर, ह्वदय, आंत, जंघा, कूल्हे व बवासीर रोगों से ग्रसित रखते हैं.
मकर राशि -
मकर राशि के स्वामी शनि है, यह राशि घुटनों की कारक है. यदि मकर राशि के जातक की कुंडली में शनि नीचस्थ या पीड़ित हो या राशि के प्रभावित होने पर जातक को घुटनों, जांघ, पाचन संबंधी बीमारियों घेर सकती हैं. इसके अलावा पुरानी बीमारीयां परेशान कर सकती हैं.
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कुम्भ राशि -
कुम्भ राशि के स्वामी भी शनि देव हैं. कुम्भ राशि पिण्डलियों की कारक है, कुम्भ राशि के जातक की कुंडली में शनि के पीड़ित या नीचस्थ होने पर व इस राशि के पीड़ित होने पर व्यक्ति को पिण्डलियों, उच्च रक्तचाप, हर्निया की बिमारी परेशान कर सकती है.
मीन राशि -
मीन राशि के स्वामी बृहस्पति हैं. मीन राशि पैर के पंजों की कारक मानी जाती है. अतः मीन राशि के जातक की कुंडली में बृहस्पति के पीडी़त होने पर व्यक्ति को पैर के पंजों, लीवर या घुटनों से संबंधी बिमारी का सामना करना पड़ सकता है.