वक्री बुध - शिक्षा और कम्युनिकेशन समस्याएं

Indian Astrology | 17-Jun-2019

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बुध ग्रह व्यक्ति के सीखने की क्षमता और शिक्षा को तय करता है। बाल्यावस्था में जिस बालक की कुंडली में बुध वक्री अवस्था में होता है वह बालक बोलना मंद गति से सीखता है। वाणी कारक बुध को जब अशुभ शनि का साथ प्राप्त होता है, तब बालक क सुनने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही इसके फलस्वरुप बालक की शिक्षा में भी ब्रेक लग जाता है। बुध ग्रह पर किसी भी अशुभ ग्रह का प्रभाव शैक्षिक जीवन में बाधक का कार्य करता है।

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हम अपने आसपास देखते है कि कोई बालक जल्द सीख जाता है, और किसी बालक को बोलना सीखने में कई वर्ष लग जाते हैं। कुछ इसी तरह के अनुभव वक्री बुध देता हैं। वक्री बुध की स्थिति में किस प्रकार के फल प्राप्त हो सकते हैं आईये जानें-

बुध ग्रह बुद्धि का कारक ग्रह है। कालपुरुष की कुंडली में बुध तीसरे भाव और छ्ठे भाव का स्वामी है। तीसरे भाव से संचार, सोचने की क्षमता से है और छठा भाव सेवा, स्वास्थ्य, व्यावहारिक कार्य, कार्यप्रणाली, धैर्य, वस्त्र और ड्रेसिंग, भोजन और भोजन का स्वाद आदि देखा जाता है। मार्गी बुध शिक्षा के मार्ग को सरल बनाता है तो वक्री बुध इसके विपरीत फल देता है। यहां तक की वक्री बुध के प्रभाव से बालक देर से बोलता है। प्रारम्भिक शिक्षा के परिणाम भी यह देर से देता है। उदाहरण के लिए बुध यदि द्वादश भाव में है तो शिक्षा रुक रुक कर पूरी होती है। बुध जन्मपत्री में कमजोर होने पर बालक की सोचने की शक्ति प्रभावित होती है, वह निर्णय समय पर नहीं ले पाता है। ऐसा बालक सभा या सार्वजनिक रुप से बात करने में संकोच करता है। उसे पाचन समस्याएं रहती है। स्वार्थ, झूठ, तंत्रिका कमजोरी, खराब ड्रेसिंग सेंस देता है। परन्तु यदि बुध सुस्थित है तो जातक पत्रकार, संपादक, सीए, केमिस्ट, गणितज्ञ, राजदूत, सिनेसंवाद और कहानी लेखक, पुस्तक लेखक, शिक्षक और अच्छा संचार कौशल देता है।

वक्री अवस्था में बुध तत्वानुसार राशियों में स्थित होने पर निम्न फल देता हैं-

  • बुध वक्री मेष, सिंह और धनु राशि में स्थित होने पर व्यक्ति में नेतृत्व के गुण, बौद्धिक, आत्मविश्वास देता है। और अशुभ ग्रहों के प्रभाव में होने पर व्यक्ति को उदासीन और मानसिक दृष्टिकोण से कमजोर बनाता है।
  • पृथ्वी तत्व राशियों वृषभ, कन्या और मकर में वक्री बुध हो तो व्यक्ति व्यावहारिक उन्मुख होता है, और वक्री बुध अशुभ होकर स्थित होने पर अत्यधिक भौतिकवादी दृष्टिकोण।
  • वक्री बुध वायुतत्व राशियों मिथुन, तुला और कुंभ में स्थित होने पर अच्छा संचार कौशल और सैद्धांतिक ज्ञान देता है, अशुभ होने पर व्यक्ति को स्वार्थी और प्रभावहीन बनाता है।
  • जलतत्व राशियों कर्क, वृश्चिक और मीन में बुध की स्थिति व्यक्ति को भावनात्मक, उतार-चढ़ाव वाली सोच और निर्णय। बुध की स्थिति अशुभ होने पर दिवास्वप्न की स्थिति देता है।

विभिन्न राशियों मे वक्री बुध की स्थिति के फल -

  • वक्री बुध चर राशियों मेष, कर्क, तुला और मकर में हो तो वह शीघ्र निर्णय नहीं ले पाता है। उसके द्वारा लिए गए निर्णय प्रभावहीन होते है। कभी कभी उसके निर्णय अविवेकपूर्ण भी होते है।
  • स्थिर राशियों वृषभ, सिंह और वॄश्चिक और कुम्भ राशि में वक्री बुध की स्थिति व्यक्ति को मंद गति से निर्णय लेने की योग्यता दिखती है। एक बार लिए गए निर्णयो को वह जल्द बदलता नही है।
  • द्विस्वभाव राशियों मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि में वक्री बुध की स्थिति लोचपूर्ण निर्णय लेने का गुण देती है। उसके निर्णय भूतकाल की घटनाओं पर आधारित अधिक होते है।