शकुन - घटनाओं का पूर्व संकेत

Indian Astrology | 01-May-2019

Views: 7785
Latest-news

भारत वर्ष में शकुन अपशुकन की अवधारणा पौराणिक काल -से देखी जा सकती है आज जब मानव मंगल चंद्र और शुक्र जैसे ग्रहों पर एक नई दुनियां बनाने का सपना सच कर रहा है ऐसे में शकुन अपशकुन पर विश्वास करना कहां तक सीमित है। फिर भी हमारे आस-पास घटित होती हुई कुछ घटनाएं हमें इस विषय में सोचने पर मजबूर कर देती हैं। सरल शब्दों में कहें तो हम सभी के आस-पास कुछ ऐसी शक्तियां हैं जो भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्व संकेत देती हैं। यह और बात है कि कई बार हम उन्हें समझ पाते और कई बार हम उन्हें नहीं समझ पाते। यही संकेत शकुन अपशकुन कहलाते हैं।

इन्हें समझकर हम अपने कार्यों में सफलता या असफलता निर्धारित कर सकते हैं। शकुन अपशकुन हमारे दैनिक जीवन का एक हिस्सा बन चुका है जैसे - शनिवार के दिन नीबू और हरी मिर्ची बांधना अशुभ शक्तियों को दूर करने का संकेत है ठीक इसी प्रकार किसी बालक को काला टीका लगाना उसे नजर दोष से बचाने का सूचक है। यह सब शकुन हमारे जीवन में इस तरह से घुले-मिले हैं कि जिन्हें हम चाहकर भी स्वयं से अलग नहीं कर सकते हैं।

शकुन के भी कई भेद है- जलचर शकुन, स्थलचर शकुन और नभचर शकुन।

  • जलचर शकुन - जलीय स्थल और जल में रहने वाले जीवों से संबंधित विषय.
  • स्थलचर शकुन - भूमि पर विचरण करने वाले सभी द्विपद, चतुष्पद, षट्पद है। इसमें सरीसृप और सभी प्राणी आते है। सांप, बिल्ली, कुत्ता, छिपकली गिरगिट, गाय, सियार, उल्लू,कौआ, नेवला, मोर,बैल, भैंस, घोडा, मछली, मानव और छींक है। इसके अलावा टोकना भी शकुन के अंतर्गत आता है। शव दर्शन या शव के सम्मुख रुदन दिखाना भी शकुन -अपशकुन में आता है।
  • नभचर शकुन - आकाश में रहने वाले पक्षी और नभ आकॄतियां.

शकुन के प्रकार

यात्रा पर जाने से पूर्व शकुन/अपशकुन का ध्यान रखना लाभप्रद माना गया है- यात्रा पर जाते व्यक्ति को पीछे से नहीं टोकना चाहिए। पीछे से आवाज लगाना भी सही नहीं माना जाता है। मार्ग से वापस लौटकर आना यात्रा में व्यवधान आने के संकेत देते हैं।


व्यक्ति संबंधी शकुन

कार्य पर जाते समय किसी ब्राह्माण को देखना, तिलकधारी के दर्शन, कूड़े के ढ़ेर या गंदे वस्त्र सहित धोबी देखना, मछली देखा शुभ माना गया है। इसके अतिरिक्त कन्या, सौभाग्यवती महिला, संतानवती स्त्री, दही लिए स्त्री, पानी का भरा घड़ा आदि भी शुभ है। मार्ग में यदि काना व्यक्ति, तेल लिए हुए, बंध्या स्त्री, विधवा स्त्री दिखाई दें तो अशुभ होता है।


पशु-पक्षी संबंधी शकुन

दूध पिलाती गाय, हाथी, गणेश प्रतिमा के दर्शन शुभ। परदेशी की वापसी, तोते का मंड़राना, बारात की बिदाई, नीलकंठ के दर्शन। सियार की आवाज, बिल्ली /सियार का मार्ग काट्ना, कुत्ते/बिल्ली का रोना अशुभ माना गया है। काग का सिर पर बैठना भी अशुभ समाचार आने का सूचक होता है।


संख्या शकुन

संख्याओं में तीन और तेरह को अशुभ संख्याओं में रखा गया है। पांच, सात, ग्यारह और इक्कीस विशेष शुभ संख्याओं की श्रेणी में रखी गई है।


स्वप्न संबंधी शकुन

स्वप्न में फल उठाना, वस्तु एकत्र करना, मछली और दही दिखना शुभ है।


प्राणी संबंधी शकुन

बिल्ली मारना, बिल्ली का जूठन खाना, शरीर पर छिपकली गिरना, गिरगिट पैर पर चढ़ना अशुभ है।


अंग शकुन

छींक आना अशुभ, दांत का दर्द, आंख की फूली, पीलिया होना अशुभ शकुन में आता है।


वनस्पति जगत शकुन

तुलसी पत्र रविवार और मंगलवार को तोड़ना अशुभ, सायंकाल/रात्रिकाल/गोधूली बेला में पीपल के वृक्ष के नीचे बच्चे, गर्भवती स्त्री, हल्दी लगे वर या वधु और दूध पिलाने वाली स्त्री का जाना अशुभ माना जाता है।


शरीर के अंग संबंधी शकुन

सिर बड़ा होना शुभ, माथा चौड़ा होना भाग्यशाली बनाता है। बच्चे के ऊपर के दांत निकलना मामा के लिए अशुभ होता है। बड़े पैर शुभ माने गए और हाथ की अंगुलियां लम्बी होना भी शुभ है।


वस्तु संबंधी

दीपक को फूंक मारकर बूझाना, दीपक का मुख दक्षिण दिशा में रखना अशुभ, सिरहाना उत्तर की ओर रखना अशुभ, रविवार, मंगलवार और बुधवार को चारपाई बनाना अशुभ, झाडू खड़ी करके रखना अशुभ है।


संतान संबंधी

संतान आयु बचाव के लिए शिशु वजन के बराबर धान्य दान, शिशु का कान छेदन शुभ, नया वस्त्र न पहनाकर पुराने वस्त्र ही पहनाना, गंगा में प्रवाहित करने का अभिनय करना।


तिथिवार संबंधी

चतुर्थी का चांद देखना, मंगल को सिर ना धोना और चूड़ी ना पहनना, गुरुवार को बाल न धोना और तेल ना लगाना, नवीन वस्त्र के लिए शुभ दिन देखना।


स्वास्थ्य संबंधी

पुरुष का खटाई खाना अशुभ, स्त्री का मिठाई खाना अशुभ, स्त्री को शीघ्र स्नान और पुरुष को भोजन शीघ्र।


अन्य विविध लोक विश्वास

दिन में कहानी नहीं कहना, रात्रि में सीटी नहीं बजाना, स्त्रियों को सीधी मांग निकालना, श्वेत वस्त्र धारण से पहले हल्दी की टीका लगाना आदि।


ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव

कुंडली विशेषज्ञ और प्रश्न शास्त्री

ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव पिछले 15 वर्षों से सटीक ज्योतिषीय फलादेश और घटना काल निर्धारण करने में महारत रखती है. कई प्रसिद्ध वेबसाईटस के लिए रेखा ज्योतिष परामर्श कार्य कर चुकी हैं। आचार्या रेखा एक बेहतरीन लेखिका भी हैं। इनके लिखे लेख कई बड़ी वेबसाईट, ई पत्रिकाओं और विश्व की सबसे चर्चित ज्योतिषीय पत्रिका फ्यूचर समाचार में शोधारित लेख एवं भविष्यकथन के कॉलम नियमित रुप से प्रकाशित होते रहते हैं। जीवन की स्थिति, आय, करियर, नौकरी, प्रेम जीवन, वैवाहिक जीवन, व्यापार, विदेशी यात्रा, ऋण और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, धन, बच्चे, शिक्षा, विवाह, कानूनी विवाद, धार्मिक मान्यताओं और सर्जरी सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं को फलादेश के माध्यम से हल करने में विशेषज्ञता रखती हैं।