स्टडी रूम के लिए जरूरी हैं ये वास्तु टिप्स, परीक्षा में दिलाएंगे सफलता

Indian Astrology | 07-Jun-2021

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वास्तु घर, प्रासाद, भवन अथवा मन्दिर निर्माण करने का प्राचीन भारतीय विज्ञान है। जिसे आधुनिक समय के विज्ञान आर्किटेक्चर का प्राचीन स्वरुप माना जा सकता है। जीवन में जिन वस्तुओं का हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होता है। उन वस्तुओं को किस प्रकार से रखा जाए वह भी वास्तु है। वास्तु दिशाओं की उर्जा को संतुलित करने का विज्ञान है। वास्तु शास्त्र में दस दिशाएं मानी गई है। इन सभी दिशाओं के अलग-अलग स्वामी है। वास्तु शास्त्र को हम भवन निर्माण से जुड़ा विज्ञान भी कह सकते हैं। 

घर के ऊपर इन सभी दिशाओं से आने वाली उर्जा का असर भी पड़ता है। स्पष्ट है कि इससे घर में रहने वाले लोगों पर भी इस उर्जा का असर पड़ेगा। आसान वास्तु टिप्स से आप अपने घर के वास्तु दोषों को दूर कर सकते हैं घर में अगर वास्तुदोष है तो उस घर के सदस्यों के करियर और स्वभाव पर भी उसका प्रभाव पड़ता है। बच्चों की शिक्षा के लिए घर के वास्तु का ठीक होना आवश्यक है। 

अगर बच्चों की पढाई का कमरा वास्तु के अनुसार नहीं होगा तो जाहिर सी बात है उनकी पढाई पर असर पड़ेगा। इससे उनके ध्यान पर असर पड़ेगा और अधिक मेहनत करनी पड़ेगी। पढाई और कलात्मक गतिविधियों के लिए मानसिक रूप से शांत और हल्का वातावरण होना आवश्यक है। वास्तुदोष होने की स्थिति में घर का वातावरण भारी बन जाता है जिससे मन, बुद्धि पर असर पड़ता है। छात्रों के प्रयासों के अनुरूप परिणाम नहीं मिल पाते।

स्टडी रूम की गलत दिशा में उपस्थिति, विद्यार्थी के लिए कई प्रकार से नकारात्मक सिद्ध होती है। वास्तु के अनुसार कुछ ऐसी दिशाएं होती हैं, जहां पढ़ाई करना मानसिक तनाव और डिप्रेशन का कारण बन जाता है, ऐसे व्यक्ति कितनी भी मेहनत कर लें उन्हें अच्छे परिणाम नहीं मिल पाते, इसलिए आपका यह जानना जरुरी है कि अगर आप भी ऐसी ही किसी दिशा में बैठकर पढ़ाई करते हैं, तो अपना स्थान बदल लें।

वास्तु टिप्स से आप इन परेशानियों का समाधान पा सकते हैं। सब तरफ बढती प्रतिस्पर्धा ने छात्रों के मन में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है। ऐसे में धैर्य और मन का संतुलन बनाये रखना जरूरी है। परीक्षा के समय अगर मानसिक तनाव रहता है तो साल भर की मेहनत पर पानी फिर जाता है। हमारी पढाई में वास्तु का भी गहरा योगदान होता है। किस तरफ मुहं करके पढना चाहिए। घर का वातावरण कैसा होना चाहिए आदि सारी बातें हमारे करियर और पढाई पर सीधा असर डालती है।

शिक्षा और करियर क्षेत्र में आ रही हैं परेशानियां तो इस्तेमाल करें एजुकेशन रिपोर्ट  

आइये वास्तु के अनुसार जाने स्टडी करने के लिए कौन सी दिशाएं सही नहीं मानी जाती -

पश्चिमी वायव्य-

पश्चिमी वायव्य दिशा पश्चिम और उत्तर-पश्चिम दिशा के मध्य में स्थित होती है। यह स्थान पढ़ने के लिए या स्टडी रूम के लिए बिलकुल प्रतिकूल है। इस स्थान पर अगर कोई व्यक्ति पढ़ाई करता है, तो वह उसके लिए मानसिक तनाव और अवसाद का कारण बन सकती है। इस दिशा में ऐसे किसी भी कार्य को सम्पादित करने से बचना चाहिए, जिसके लिए आपको लम्बे समय तक यहां पर बैठना पड़े। विशेषतौर पर मानसिक क्षमता से जुड़े कार्य जैसे कि पढ़ाई करने के लिए यह स्थान वास्तु के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है।

 दक्षिणी नैऋत्य-

दक्षिणी नैऋत्य दिशा दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिशा के मध्य में स्थित होती है। दक्षिणी नैऋत्य में बैठकर पढ़ने पर इम्तिहानों में बच्चों को अच्छे अंक प्राप्त नहीं होते हैं। इस दिशा में स्टडी रूम होने पर अगर विद्यार्थी बहुत अधिक परिश्रम भी करता है, तो भी अंतिम नतीजों में उसे अच्छे अंक और सफलता प्राप्त करने से वंचित रहना पड़ता है। यहां पर अध्ययन सामग्री भी रखने से बचें, तो बेहतर होगा।

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 पूर्वी आग्नेय-

पूर्वी आग्नेय पूर्व दिशा और दक्षिण-पूर्व दिशा के मध्य में स्थित होती है। यह दिशा पश्चिमी वायव्य और दक्षिणी नैऋत्य की अपेक्षा बेहतर है, लेकिन फिर भी एक बहुत अच्छा विकल्प इसे नहीं माना जा सकता है। सामान्यतया पूर्वी आग्नेय में स्थित स्टडी रूम में पढ़ने से व्यक्ति किसी भी विषय का जरुरत से अधिक विश्लेषण करने लग जाता है। फलस्वरूप कार्य को समय पर और ठीक तरीके से पूरा करने की व्यक्ति की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है।

ध्यान रखने योग्य कुछ बातें -

अगर बच्चे पढ़ाई मन लगा कर करते हैं और फिर भी इच्छित परिणाम प्राप्त नहीं होता है तो ऐसी परिस्थिति में बच्चे के स्टडी करने के लिए पश्चिम दिशा अच्छी है। इस दिशा में बैठने पर विद्यार्थी को उसकी मेहनत के अनुरूप परिणाम जरुर मिलेंगे।

माता सरस्वती विद्या की देवी है इसलिए बच्चों के परीक्षा परिणाम में कोई परेशानी आ रही है तो हो सकता है आपके सरस्वती के स्थान में दोष हो। ऐसी स्थिति में दोष का निवारण करें।

अगर बच्चा बिस्तर पर बैठ कर पढाई करता है तो उसे ऐसा नही करने दें। इससे गंभीरता कम होती है जिसका सीधा असर पढ़ी हुई बातों का याद नहीं होना जैसी समस्याओं के रूप में होता है।

पढ़ाई का कमरा पूर्व या उत्तर दिशा या फिर ईशान कोण में होने से सूर्य, बुध एवं गुरू ग्रह की कृपा प्राप्त होती है। छात्रों के लिए और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बच्चों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए।

अगर आप स्कूली और कॉलेज शिक्षा पूरी कर चुके हैं और नौकरी प्राप्त करने के लिए पढाई कर रहे हैं, तो आपके लिए सबसे उत्तम स्थान उत्तर दिशा है।

कोशिश करें कमरे में सूर्य का सीधा प्रकाश आये। यदि सूर्य की किरणें स्टडी रूम तक ना आ पायें तो भी सुबह और शाम खिड़की-दरवाजे खोलकर रखें। इससे सकारात्मक उर्जा बनती है जो अध्ययन के लिए उत्तम वातावरण बनती है।

स्टडी रूम में विद्या की देवी सरस्वती का चित्र लगायें। सुबह-शाम ‘ॐ ऐं हीं सरस्वत्यै नमः का जाप करें और कुशाग्र बुद्धि के लिए प्रार्थना करें।

स्टडी रूम की दीवारों का रंग हलका हरा हो तो भी ये लाभकर होगा। इससे एकाग्रता और चुस्ती बनी रखती है।

बीम या दुछत्ती के नीचे पढाई करने से मन भटकता है। इन जगहों पर न तो सोना चाहिए और न ही पढना चाहिए। ये नकारात्मक उर्जा को बढाती है।

वास्तु अनुरूप चीजें होने से आपकी स्मरण शक्ति व बुद्धि में वृद्धि होगी। नकारात्मक विचार दूर होंगे जाएगी। अतः कुछ वास्तु टिप्सों को अपनाकर हम अपने अध्ययन कक्ष को वास्तु के अनुकूल और सकारात्मक बना सकते हैं।